आदाब ज़िंदगी से बहुत दूर हो गया

आदाब ज़िंदगी से बहुत दूर हो गया

शोहरत ज़रा मिली तो वो मग़रूर हो गया

अब रक़्स-ए-ख़ाक-ओ-ख़ूँ पे कोई बोलता नहीं

जैसे ये मेरे मुल्क का दस्तूर हो गया

दुश्मन से सरहदों को बचाना था जिस का काम

अपनों को क़त्ल करने पे मामूर हो गया

गुमनाम था लिबास-ए-शराफ़त की वज्ह से

दस्तार-ए-मक्र बाँधी तो मशहूर हो गया

सूरज भी ए'तिमाद के क़ाबिल नहीं रहा

आया जो वक़्त-ए-शाम तो बे-नूर हो गया

नाला जो बह रहा था मिरे गाँव में 'शहूद'

दरिया से मिल गया है तो मग़रूर हो गया

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In Hindi By Famous Poet Shahood Alam Aafaqi. is written by Shahood Alam Aafaqi. Complete Poem in Hindi by Shahood Alam Aafaqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.