नज़र जो कोई भी तुझ सा हसीं नहीं आता
किसी को क्या मुझे ख़ुद भी यक़ीं नहीं आता
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दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूँ कितना है
अपनी याद में
खेल का नतीजा
'नजमा' के लिए एक नज़्म
जो होने वाला है अब उस की फ़िक्र क्या कीजे
वो बेवफ़ा है हमेशा ही दिल दुखाता है
शहर-ए-जुनूँ में कल तलक जो भी था सब बदल गया
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
ये क्या हुआ कि तबीअ'त सँभलती जाती है
वापसी
फ़रार