जो होने वाला है अब उस की फ़िक्र क्या कीजे
जो हो चुका है उसी पर यक़ीं नहीं आता
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Habib Jalib
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Rahat Indori
Ahmad Faraz
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ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
ज़िंदगी जैसी तवक़्क़ो' थी नहीं कुछ कम है
फ़रार
ज़वाल की हद
ज़िंदा रहने का ये एहसास
दयार-ए-दिल न रहा बज़्म-ए-दोस्ताँ न रही
जान-बूझ कर समझ कर मैं ने भुला दिया
हम पढ़ रहे थे ख़्वाब के पुर्ज़ों को जोड़ के
काग़ज़ की कश्तियाँ भी बहुत काम आएँगी
फ़रेब-दर-फ़रेब
निस्बत रहे तुम से सदा हज़रत निज़ामुद्दीन-जी
साए