नज़राना तेरे हुस्न को क्या दें कि अपने पास
ले दे के एक दिल है सो टूटा हुआ सा है
Jaun Eliya
Rahat Indori
Habib Jalib
Javed Akhtar
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Mir Taqi Mir
Gulzar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
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दिल रिझा है तुझ पे ऐसा बद-गुमाँ होगा नहीं
नहीं रोक सकोगे जिस्म की इन परवाजों को
जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नहीं होगा
अपनी याद में
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
उम्र-सफ़र जारी है बस ये खेल देखने को
पल भर में कैसे लोग बदल जाते हैं यहाँ
वामांदगी-ए-शौक़
गुलाब टहनी से टूटा ज़मीन पर न गिरा
उम्र का लम्बा हिस्सा कर के दानाई के नाम
कच्चे रस्तों से
मुझ को ले डूबा तिरा शहर में यकता होना