पल भर में कैसे लोग बदल जाते हैं यहाँ
देखो कि ये मुफ़ीद है बीनाई के लिए
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जहाँ पे तेरी कमी भी न हो सके महसूस
तन्हाई
काग़ज़ की कश्तियाँ भी बहुत काम आएँगी
अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
चल चल के थक गया है कि मंज़िल नहीं कोई
ये क्या है मोहब्बत में तो ऐसा नहीं होता
मेरी ज़मीं
ये इक शजर कि जिस पे न काँटा न फूल है
सारी दुनिया के मसाइल यूँ मुझे दरपेश हैं
गुज़रे थे हुसैन इब्न-ए-अली रात इधर से
अक्स-ए-याद-ए-यार को धुँदला किया है