पिछले सफ़र में जो कुछ बीता बीत गया यारो लेकिन
अगला सफ़र जब भी तुम करना देखो तन्हा मत करना
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जान-बूझ कर समझ कर मैं ने भुला दिया
अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो
ग़म की दौलत बड़ी मुश्किल से मिला करती है
न ख़ुश-गुमान हो इस पर तू ऐ दिल-ए-सादा
क्यूँ आज उस का ज़िक्र मुझे ख़ुश न कर सका
जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने
तुझ से बिछड़े हैं तो अब किस से मिलाती है हमें
एक और साल गिरह
दिल परेशाँ हो मगर आँख में हैरानी न हो
उम्र का लम्बा हिस्सा कर के दानाई के नाम
नया अमृत
रात जुदाई की रात