मुझ को ले डूबा तिरा शहर में यकता होना
दिल बहल जाता अगर कोई भी तुझ सा होता
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मौत
बुनियाद-ए-जहाँ में कजी क्यूँ है
अब तो ले दे के यही काम है इन आँखों का
सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने का
मोम के जिस्मों वाली इस मख़्लूक़ को रुस्वा मत करना
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
उस को किसी के वास्ते बे-ताब देखते
मंज़र गुज़िश्ता शब के दामन में भर रहा है
उम्र-सफ़र जारी है बस ये खेल देखने को
एक और साल गिरह
आसमाँ कुछ भी नहीं अब तेरे करने के लिए
है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को