ये क्या है मोहब्बत में तो ऐसा नहीं होता
मैं तुझ से जुदा हो के भी तन्हा नहीं होता
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वो बेवफ़ा है हमेशा ही दिल दुखाता है
अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो
शहर-ए-जुनूँ में कल तलक जो भी था सब बदल गया
उम्मीद से कम चश्म-ए-ख़रीदार में आए
बहते दरियाओं में पानी की कमी देखना है
नहीं है मुझ से तअ'ल्लुक़ कोई तो ऐसा क्यूँ
तुझ से मिल कर भी न तन्हाई मिटेगी मेरी
दिल परेशाँ हो मगर आँख में हैरानी न हो
जान-बूझ कर समझ कर मैं ने भुला दिया
एक और मौत
हर ख़्वाब के मकाँ को मिस्मार कर दिया है
शाम होते ही खुली सड़कों की याद आती है