उम्मीद से कम चश्म-ए-ख़रीदार में आए
हम लोग ज़रा देर से बाज़ार में आए
Habib Jalib
Jaun Eliya
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
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उम्र का बाक़ी सफ़र करना है इस शर्त के साथ
पहले सफ़्हे की पहली सुर्ख़ी
तुझे भूल गया कभी याद नहीं करता तुझ को
आँख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई
वो कौन था वो कहाँ का था क्या हुआ था उसे
उस को किसी के वास्ते बे-ताब देखते
नए अहद का नया सवाल
नज़र जो कोई भी तुझ सा हसीं नहीं आता
ये क़ाफ़िले यादों के कहीं खो गए होते
पहले नहाई ओस में फिर आँसुओं में रात
वो बेवफ़ा है हमेशा ही दिल दुखाता है
घर की तामीर तसव्वुर ही में हो सकती है