Ghazals of Shamim Farooqui
नाम | शमीम फ़ारूक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shamim Farooqui |
शर्मीली छूई-मूई अजब मोहनी सी थी
मिरे हाथ की सब दुआ ले गया
जो भी कहना हो वहाँ मेरी ज़बानी कहना
डूबते सूरज का मंज़र वो सुहानी कश्तियाँ
बहुत घुटन है बहुत इज़्तिराब है मौला
अँधेरी शब है कहाँ रूठ कर वो जाएगा
आसमाँ का रंग मेरी ज़ात में घुल जाएगा