Ghazals of Shams Farrukhabadi

Ghazals of Shams Farrukhabadi
नामशम्स फ़र्रुख़ाबादी
अंग्रेज़ी नामShams Farrukhabadi

ये घर जो हमारे लिए अब दश्त-ए-जुनूँ है

न कोई अपना ग़म है और न अब कोई ख़ुशी अपनी

मिली जो दिल को ख़ुशी तो ख़ुशी से घबराए

मिरे ए'तिमाद को ग़म मिला मिरी जब किसी पे नज़र गई

मंज़िल-ए-इश्क़ के राहबर खो गए

किसी के वादा-ए-फ़र्दा में गुम है इंतिज़ार अब भी

कमरे की दीवारों पर आवेज़ां जो तस्वीरें हैं

दूर फ़ज़ा में एक परिंदा खोया हुआ उड़ानों में

चाँद तारों ने भी जब रख़्त-ए-सफ़र खोला है

बिछड़ते टूटते रिश्तों को हम ने देखा था

बहार-ए-ज़ीस्त की महरूमियाँ अरे तौबा

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