कभी ज़ियादा कभी कम रहा है आँखों में
लहू का सिलसिला पैहम रहा है आँखों में
Habib Jalib
Javed Akhtar
Anwar Masood
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(548) Peoples Rate This
किस किस को अब रोना होगा जाने क्या क्या भूल गया
दिल-शिकस्ता हुए टूटा हुआ पैमान बने
सँभला नहीं दिल तुझ से बिछड़ कर कई दिन तक
सन कर बयान-ए-दर्द कलेजा दहल न जाए
अजनबी
ज़िंदगी हम से तिरे नाज़ उठाए न गए
कौन देता रहा सहरा में सदा मेरी तरह
एक रात आप ने उम्मीद पे क्या रक्खा है
ख़्वाब नादिम हैं कि ता'बीर दिखाने से गए
न महफ़िल ऐसी होती है न ख़ल्वत ऐसी होती है
नफ़स नफ़स है तिरे ग़म से चूर चूर अब तक