धूल उड़ती है धूप बैठी है
ओस ने आँसुओं का घर छोड़ा
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Anwar Masood
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(521) Peoples Rate This
यादों की रुत के आते ही सब हो गए हरे
सुन लिया होगा हवाओं में बिखर जाता है
कभी जंगल कभी सहरा कभी दरिया लिख्खा
किसी के साथ अब साया नहीं है
वही न मिलने का ग़म और वही गिला होगा
एक आसेब है हर इक घर में
कोई दुआ कभी तो हमारी क़ुबूल कर
मंज़र को किसी तरह बदलने की दुआ दे
मेरे अल्फ़ाज़ में असर रख दे
रीत पर जितने भी नविश्ते हैं
निकले कभी न घर से मगर इस के बावजूद