यहाँ यार और बरदार कोई नहीं किसी का
दुनिया के बीच 'ताबाँ' हम किस से दिल लगावें
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क्या करें क्यूँ-कर रहें दुनिया में यारो हम ख़ुशी
है क्या सबब कि यार न आया ख़बर के तईं
ले मेरी ख़बर चश्म मिरे यार की क्यूँ-कर
आरज़ू है मैं रखूँ तेरे क़दम पर गर जबीं
तू कौन है ऐ वाइज़ जो मुझ को डराता है
सोहबत-ए-शैख़ में तू रात को जाया मत कर
वे शख़्स जिन से फ़ख़्र जहाँ को था अब वे हाए
ज़ाहिद तिरा तो दीन सरासर फ़रेब है
ज़ाहिद हो और तक़्वा आबिद हो और मुसल्ला
ख़ूबाँ जो पहनते हैं निपट तंग चोलियाँ
मुझे ऐश ओ इशरत की क़ुदरत नहीं है