ले मेरी ख़बर चश्म मिरे यार की क्यूँ-कर
बीमार अयादत करे बीमार की क्यूँ-कर
Allama Iqbal
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Anwar Masood
Javed Akhtar
Gulzar
Wasi Shah
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(449) Peoples Rate This
मलूँ हों ख़ाक जूँ आईना मुँह पर
मैं तो तालिब दिल से हूँगा दीन का
दिल की हसरत न रही दिल में मिरे कुछ बाक़ी
ख़ूबाँ जो पहनते हैं निपट तंग चोलियाँ
एक बुलबुल भी चमन में न रही अब की फ़सल
नहीं तुम मानते मेरा कहा जी
क़िस्मत में क्या है देखें जीते बचें कि मर जाएँ
'ताबाँ' ज़ि-बस हवा-ए-जुनूँ सर में है मिरे
यार से अब के गर मिलूँ 'ताबाँ'
लड़का जो ख़ूब-रू है सो मुझ से बचा नहीं
हवा भी इश्क़ की लगने न देता मैं उसे हरगिज़
किस से पूछूँ हाए मैं इस दिल के समझाने की तरह