ज़र्रे में गुम हज़ार सहरा
क़तरे में मुहीत लाख क़ुल्ज़ुम
Gulzar
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Jaun Eliya
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एक जल्वा ब-सद अंदाज़-ए-नज़र देख लिया
देखिए अहल-ए-मोहब्बत हमें क्या देते हैं
हर इक दाग़-ए-दिल शम्अ' साँ देखता हूँ
अज़ाब टूटे दिलों को हर इक नफ़स गुज़रा
मह-ओ-पर्वीं तह-ए-कमंद रहे
पाबंदी-ए-हुदूद से बेगाना चाहिए
आईना जब भी रू-ब-रू आया
बहुत जबीन-ओ-रुख़-ओ-लब बहुत क़द-ओ-गेसू
टूट कर अहद-ए-तमन्ना की तरह
धूमें मचाएँ सब्ज़ा रौंदें फूलों को पामाल करें
शर्मिंदा हम जुनूँ से हैं एक एक तार के