ज़ेहन पर बोझ रहा, दिल भी परेशान हुआ
इन बड़े लोगों से मिल कर बड़ा नुक़सान हुआ
Javed Akhtar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Gulzar
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Love Poetry
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Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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न तुम मिले थे तो दुनिया चराग़-पा भी न थी
मिज़ाज अपना मिला ही नहीं ज़माने से
अजब ग़रीबी के आलम में मर गया इक शख़्स
वो मेरे ख़्वाब की ताबीर तो बताए मुझे
कोई शिकवा न शिकायत न वज़ाहत कोई
ख़ुश्क आँखों से कहाँ तय ये मसाफ़त होगी
कैसे रिश्तों को समेटें ये बिखरते हुए लोग
रेआया ज़ुल्म पे जब सर उठाने लगती है
एक तस्वीर जलानी है अभी
अभी बाक़ी है बिछड़ना उस से
इस लहजे से बात नहीं बन पाएगी
ये आरज़ू थी उसे आइना बनाते हम