प्यास ऐसी थी कि मैं सारा समुंदर पी गया
पर मिरे होंटों के ये दोनों किनारे जल गए
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क़त्ल करना है नए ख़्वाब का सो डरता हूँ
मोहब्बत में शिकायत कर रहा हूँ
उस ने ख़ुद फ़ोन पे ये मुझ से कहा अच्छा था
नींद आए तो कुछ सुराग़ मिले
शेर पढ़ते हुए ये तुम ने कभी सोचा है
पुरानी चोट मैं कैसे दिखाऊँ
जाने फिर उस के दिल में क्या बात आ गई थी
कितनी दिलकश हैं ये बारिश की फुवारें लेकिन
एक किरदार नया रोज़ जिया करता हूँ
इस तरह रस्म मोहब्बत की अदा होती है
न जाने क्या कमी थी चाहतों में