एक किरदार नया रोज़ जिया करता हूँ
मुझ को शाएर न कहो एक अदाकार हूँ मैं
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कितनी दिलकश हैं ये बारिश की फुवारें लेकिन
ये बारिश कब रुकेगी कौन जाने
शेर पढ़ते हुए ये तुम ने कभी सोचा है
ज़िंदगानी का कोई बाब समझ लो लड़की
मोहब्बत में शिकायत कर रहा हूँ
पुरानी चोट मैं कैसे दिखाऊँ
भाड़े का इक मकाँ हूँ मुझ को ख़बर नहीं है
उम्र भर लड़ता रहा हूँ उस से
मैं हासिल हो चुका हूँ जिस बदन को
मैं अपने दरमियाँ से हट चुका हूँ
उस ने ख़ुद फ़ोन पे ये मुझ से कहा अच्छा था
जिन से मिलना न हुआ उन से बिछड़ कर रोए