ये बारिश कब रुकेगी कौन जाने
कहीं मैं मर न जाऊँ तिश्नगी से
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रूह है तर्जुमा पानियों का अगर
वो तो मिल कर भी नहीं मिलती है
जब से गुज़रा है किसी हुस्न के बाज़ार से दिल
उम्र भर लड़ता रहा हूँ उस से
न जाने क्या कमी थी चाहतों में
एक किरदार नया रोज़ जिया करता हूँ
जिसे तुम ढूँडती रहती हो मुझ में
उस ने ख़ुद फ़ोन पे ये मुझ से कहा अच्छा था
ऐ हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियो
मैं ख़ुद अपना लहू पीने लगा हूँ
ज़िंदगानी का कोई बाब समझ लो लड़की
एक तस्वीर बनाई है ख़यालों ने अभी