उम्र भर लड़ता रहा हूँ उस से
वो जो इक शख़्स कभी था ही नहीं
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वो तो मिल कर भी नहीं मिलती है
मैं अपने दरमियाँ से हट चुका हूँ
कभी किसी ने जो दिल दुखाया तो दिल को समझा गई उदासी
एक तस्वीर बनाई है ख़यालों ने अभी
जब से गुज़रा है किसी हुस्न के बाज़ार से दिल
किसी पर भी यक़ीं कर लेते हो तुम
तुम मिरे पास न आओ कि यही बेहतर है
न जाने क्या कमी थी चाहतों में
तुम जिसे चाँद कहते हो वो अस्ल में
नींद आए तो कुछ सुराग़ मिले
कितनी दिलकश हैं ये बारिश की फुवारें लेकिन