इस कार-ए-नुमायाँ के शाहिद हैं चमन वाले
गुलशन में बहारों को लाए थे हमीं पहले
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आप से चूक हो गई शायद
रहने दे तकलीफ़-ए-तवज्जोह दिल को है आराम बहुत
बच्चे भी अब देख के उस को हँसते हैं
वो हादसे भी दहर में हम पर गुज़र गए
मिरी समझ में आ गया हर एक राज़-ए-ज़िंदगी
परेशाँ हो के दिल तर्क-ए-तअल्लुक़ पर है आमादा
हुस्न ही तो नहीं बेताब-ए-नुमाइश 'उनवाँ'
तअ'स्सुब की फ़ज़ा में ता'ना-ए-किरदार क्या देता
वो मुस्कुरा के मोहब्बत से जब भी मिलते हैं
सारी दुनिया में दाना है अपने घर में कुछ भी नहीं
इश्क़ फिर इश्क़ है आशुफ़्ता-सरी माँगे है