आप से चूक हो गई शायद
आप और मुझ पे मेहरबाँ क्या ख़ूब
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इश्क़ फिर इश्क़ है आशुफ़्ता-सरी माँगे है
किसी के फ़ैज़-ए-क़ुर्ब से हयात अब सँवर गई
कहते हैं अज़ल जिस को उस से भी कहीं पहले
बच्चे भी अब देख के उस को हँसते हैं
मिरी समझ में आ गया हर एक राज़-ए-ज़िंदगी
इस कार-ए-नुमायाँ के शाहिद हैं चमन वाले
ज़िंदाबाद ऐ दश्त के मंज़र ज़िंदाबाद
वो मुस्कुरा के मोहब्बत से जब भी मिलते हैं
मैं किस तरह तुझे इल्ज़ाम-ए-बेवफ़ाई दूँ
आज अचानक फिर ये कैसी ख़ुशबू फैली यादों की
कुछ तो बताओ ऐ फ़रज़ानो दीवानों पर क्या गुज़री