जामा-ज़ेबों को क्यूँ तजूँ कि मुझे
घेर रखता है दौर दामन का
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Gulzar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(567) Peoples Rate This
फिर मेरी ख़बर लेने वो सय्याद न आया
मैं आशिक़ी में तब सूँ अफ़्साना हो रहा हूँ
कमर उस दिलरुबा की दिलरुबा है
सजन टुक नाज़ सूँ मुझ पास आ आहिस्ता आहिस्ता
देखना हर सुब्ह तुझ रुख़्सार का
शग़्ल बेहतर है इश्क़-बाज़ी का
ख़ूब-रू ख़ूब काम करते हैं
जब तुझ अरक़ के वस्फ़ में जारी क़लम हुआ
मत ग़ुस्से के शो'ले सूँ जलते कूँ जलाती जा
दिल-ए-उश्शाक़ क्यूँ न हो रौशन
आज सरसब्ज़ कोह ओ सहरा है
आज तेरी भवाँ ने मस्जिद में