वसीम बरेलवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का वसीम बरेलवी (page 4)
नाम | वसीम बरेलवी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Waseem Barelvi |
जन्म की तारीख | 1940 |
जन्म स्थान | Delhi |
तुझ को सोचा तो पता हो गया रुस्वाई को
तमाम उम्र बड़े सख़्त इम्तिहान में था
तहरीर से वर्ना मिरी क्या हो नहीं सकता
सिर्फ़ तेरा नाम ले कर रह गया
शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैं
सफ़र पे आज वही कश्तियाँ निकलती हैं
सभी का धूप से बचने को सर नहीं होता
सब ने मिलाए हाथ यहाँ तीरगी के साथ
रंग बे-रंग हों ख़ुशबू का भरोसा जाए
नहीं कि अपना ज़माना भी तो नहीं आया
न जाने क्यूँ मुझे उस से ही ख़ौफ़ लगता है
मुझे तो क़तरा ही होना बहुत सताता है
मुझे बुझा दे मिरा दौर मुख़्तसर कर दे
मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है
मिटे वो दिल जो तिरे ग़म को ले के चल न सके
मिली हवाओं में उड़ने की वो सज़ा यारो
मिरी वफ़ाओं का नश्शा उतारने वाला
मेरे ग़म को जो अपना बताते रहे
मेरा किया था मैं टूटा कि बिखरा रहा
मैं ये नहीं कहता कि मिरा सर न मिलेगा
मैं इस उमीद पे डूबा कि तू बचा लेगा
मैं अपने ख़्वाब से बिछड़ा नज़र नहीं आता
मैं आसमाँ पे बहुत देर रह नहीं सकता
लहू न हो तो क़लम तर्जुमाँ नहीं होता
क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता
क्या बताऊँ कैसा ख़ुद को दर-ब-दर मैं ने किया
कुछ इतना ख़ौफ़ का मारा हुआ भी प्यार न हो
कितना दुश्वार था दुनिया ये हुनर आना भी
ख़ुशी का साथ मिला भी तो दिल पे बार रहा
खुल के मिलने का सलीक़ा आप को आता नहीं