वसीम बरेलवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का वसीम बरेलवी (page 2)
नाम | वसीम बरेलवी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Waseem Barelvi |
जन्म की तारीख | 1940 |
जन्म स्थान | Delhi |
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी
फूल तो फूल हैं आँखों से घिरे रहते हैं
न पाने से किसी के है न कुछ खोने से मतलब है
मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है
मुझे पढ़ता कोई तो कैसे पढ़ता
मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आता
मोहब्बत के घरों के कच्चे-पन को ये कहाँ समझें
मैं ने चाहा है तुझे आम से इंसाँ की तरह
मैं उस को पूज तो सकता हूँ छू नहीं सकता
मैं उस को आँसुओं से लिख रहा हूँ
मैं जिन दिनों तिरे बारे में सोचता हूँ बहुत
मैं बोलता गया हूँ वो सुनता रहा ख़ामोश
मैं भी उसे खोने का हुनर सीख न पाया
लहू न हो तो क़लम तर्जुमाँ नहीं होता
कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को
कोई इशारा दिलासा न कोई व'अदा मगर
किसी ने रख दिए ममता-भरे दो हाथ क्या सर पर
किसी को कैसे बताएँ ज़रूरतें अपनी
जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से
जिस्म की चाह लकीरों से अदा करता है
झूट वाले कहीं से कहीं बढ़ गए
झूट के आगे पीछे दरिया चलते हैं
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
इसी ख़याल से पलकों पे रुक गए आँसू
इन्हें तो ख़ाक में मिलना ही था कि मेरे थे
हम ये तो नहीं कहते कि हम तुझ से बड़े हैं
होंटों को रोज़ इक नए दरिया की आरज़ू
हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल
ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम'
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता