जीवन इक बे-अंत सफ़र है
दुनिया एक पराया घर है
उस घर के कोने खुदरों में
हम ने अपने ख़्वाब जमाए
बादल बोए दरिया पाए
दुख झेले और सुख फैलाए
धरती से आकाश को जोड़ा
इक मोहब्बत दिल में रक्खी
सारी उम्र उदासी चक्खी
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Anwar Masood
Allama Iqbal
Habib Jalib
Rahat Indori
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क़तरे
जगह
कोई क़ुसूर नहीं मेरी ख़ुश-गुमानी का
गड़ही मेरा
इंडिया
जो वो नहीं था तो मैं मुत्तफ़िक़ था लोगों से
इश्क़ की दीवानगी मिट जाएगी
34
ख़त
गुज़र गई है मगर रोज़ याद आती है
चिड़ियाँ
फ़ाइरिंग