एक फूल सा बच्चा
गर्दिश-ए-मीना-ओ-जाम देखिए कब तक रहे
कहानी गुल-ज़मीना की
एक सच्ची अम्माँ की कहानी
''अलिफ़'' और ''बे'' के नाम
भूली-बिसरी यादों को लिपटाए हुए हूँ
बहुत दिन ब'अद 'ज़ेहरा' तू ने कुछ ग़ज़लें तो लिख्खीं
ये सच है यहाँ शोर ज़ियादा नहीं होता
ग़म अपने ही अश्कों का ख़रीदा हुआ है
बस्ती में कुछ लोग निराले अब भी हैं
नया घर
मैं बच गई माँ