बदन भीगेंगे बरसातें रहेंगी
अभी कुछ दिन ये सौग़ातें रहेंगी
Gulzar
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Habib Jalib
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1218) Peoples Rate This
कहा था तुम से कि ये रास्ता भी ठीक नहीं
सभी को अपना समझता हूँ क्या हुआ है मुझे
घर की हद में सहरा है
फ़रियादी मातम
दिल देता है हिर-फिर के उसी दर पे सदाएँ
तुझ को भी क्यूँ याद रखा
तुझ से बिछड़ना कोई नया हादसा नहीं
अक़्द-नामे
पनाहें ढूँढ के कितनी ही रोज़ लाता है
भीनी ख़ुशबू सुलगती साँसों में
आँखों के बंद बाब लिए भागते रहे