दिल देता है हिर-फिर के उसी दर पे सदाएँ
दीवार बना है अभी दीवाना नहीं है
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तेज़ी से बीतते हुए लम्हों के साथ साथ
घर के अंदर जाने के
तुझे भुलाने की कोशिश में फिर रहे थे कि हम
आँखों के बंद बाब लिए भागते रहे
हमारे बारे में क्या क्या न कुछ कहा होगा
किसे बताते कि मंज़र निगाह में क्या था
जो हर क़दम पे मिरे साथ साथ रहता था
परछाइयाँ पकड़ने वाले
ऊँची उड़ान के लिए पर तौलते थे हम
सफ़र तो पहले भी कितने किए मगर इस बार
जिस से मिल बैठे लगी वो शक्ल पहचानी हुई
हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे