Sad Poetry of Abbas Rizvi

Sad Poetry of Abbas Rizvi
नामअब्बास रिज़वी
अंग्रेज़ी नामAbbas Rizvi
जन्म स्थानPakistan

तमाम उम्र की बे-ताबियों का हासिल था

मैं जो चुप था हमा-तन-गोश थी बस्ती सारी

ख़ौफ़ ऐसा है कि दुनिया के सताए हुए लोग

मैं उस से दूर रहा उस की दस्तरस में रहा

जिस को हम समझते थे उम्र भर का रिश्ता है

जब कोई तीर हवादिस की कमाँ से आया

हम तिरे हुस्न-ए-जहाँ-ताब से डर जाते हैं

हर तरफ़ शोर-ए-फ़ुग़ाँ है कोई सुनता ही नहीं

गुज़र गया वो ज़माना वो ज़ख़्म भर भी गए

धुआँ सा फैल गया दिल में शाम ढलते ही

अहल-ए-जुनूँ थे फ़स्ल-ए-बहाराँ के सर गए

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