Hope Poetry of Abbas Rizvi

Hope Poetry of Abbas Rizvi
नामअब्बास रिज़वी
अंग्रेज़ी नामAbbas Rizvi
जन्म स्थानPakistan

क्या करूँ ख़िलअत ओ दस्तार की ख़्वाहिश कि मुझे

एक ना-तवाँ रिश्ता उस से अब भी बाक़ी है

बहुत अज़ीज़ थी ये ज़िंदगी मगर हम लोग

सितारे चाहते हैं माहताब माँगते हैं

जिस को हम समझते थे उम्र भर का रिश्ता है

जब कोई तीर हवादिस की कमाँ से आया

हम तिरे हुस्न-ए-जहाँ-ताब से डर जाते हैं

गुज़र गया वो ज़माना वो ज़ख़्म भर भी गए

धुआँ सा फैल गया दिल में शाम ढलते ही

अहल-ए-जुनूँ थे फ़स्ल-ए-बहाराँ के सर गए

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