मैं ठहरता गया रफ़्ता रफ़्ता
और ये दिल अपनी रवानी में रहा
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तुझ से वाबस्तगी रहेगी अभी
इक फ़रामोश कहानी में रहा
हम ने रक्खा था जिसे अपनी कहानी में कहीं
याद भी तेरी मिट गई दिल से
हवा हर इक सम्त बह रही है
हवा जब तेज़ चलती है
यूँ ही निमटा दिया है जिस को तू ने
आँखें तरस गई हैं
ये दाग़-ए-इश्क़ जो मिटता भी है चमकता भी है
क़स्बाती लड़कों का गीत
हर रुख़ है कहीं अपने ख़द-ओ-ख़ाल से बाहर
यक़ीन है कि गुमाँ है मुझे नहीं मालूम