हो गए हैं पैर सारे तिफ़्ल-ए-अश्क
गिर्या का जारी है अब लग सिलसिला
Parveen Shakir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(659) Peoples Rate This
जब कि ऐसा हो गंदुमी माशूक़
यारो हमारा हाल सजन सीं बयाँ करो
तुम्हारे लोग कहते हैं कमर है
किस की रखती हैं ये मजाल अँखियाँ
निगह तेरी का इक ज़ख़्मी न तन्हा दिल हमारा है
अगर देखे तुम्हारी ज़ुल्फ़ ले डस
न पावे चाल तेरे की पियारे ये ढलक दरिया
शौक़ बढ़ता है मिरे दिल का दिल-अफ़गारों के बीच
हुस्न पर है ख़ूब-रूयाँ में वफ़ा की ख़ू नहीं
आशिक़ बिपत के मारे रोते हुए जिधर जाँ
दिल्ली में दर्द-ए-दिल कूँ कोई पूछता नहीं
मिल गया था बाग़ में माशूक़ इक नक-दार सा