Hope Poetry of Abroo Shah Mubarak
नाम | आबरू शाह मुबारक |
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अंग्रेज़ी नाम | Abroo Shah Mubarak |
जन्म की तारीख | 1685 |
मौत की तिथि | 1733 |
जन्म स्थान | Delhi |
कविताएं
Ghazal 74
Couplets 71
Love 62
Sad 39
Heart Broken 40
Bewafa 6
Hope 19
Friendship 49
Islamic 19
Sufi 4
Social 1
देशभक्तिपूर्ण 1
बारिश 2
ख्वाब 4
Sharab 6
तुम नज़र क्यूँ चुराए जाते हो
जलता है अब तलक तिरी ज़ुल्फ़ों के रश्क से
सैर-ए-बहार-ए-हुस्न ही अँखियों का काम जान
रखे कोई इस तरह के लालची को कब तलक बहला
नाज़नीं जब ख़िराम करते हैं
नालाँ हुआ है जल कर सीने में मन हमारा
न पावे चाल तेरे की पियारे ये ढलक दरिया
मत मेहर सेती हाथ में ले दिल हमारे कूँ
कोयल नीं आ के कोक सुनाई बसंत रुत
कहें क्या तुम सूँ बे-दर्द लोगो किसी से जी का मरम न पाया
इश्क़ है इख़्तियार का दुश्मन
इंसान है तो किब्र सीं कहता है क्यूँ अना
हम नीं सजन सुना है उस शोख़ के दहाँ है
हुआ हूँ दिल सेती बंदा पिया की मेहरबानी का
गुनाहगारों की उज़्र-ख़्वाही हमारे साहिब क़ुबूल कीजे
दिल नीं पकड़ी है यार की सूरत
देख तू बे-रहम आशिक़ नीं तुझे छोड़ा नहीं
बहार आई गली की तरह दिल खोल
आज यारों को मुबारक हो कि सुब्ह-ए-ईद है