Coupletss of Abroo Shah Mubarak

Coupletss of Abroo Shah Mubarak
नामआबरू शाह मुबारक
अंग्रेज़ी नामAbroo Shah Mubarak
जन्म की तारीख1685
मौत की तिथि1733
जन्म स्थानDelhi

यूँ 'आबरू' बनावे दिल में हज़ार बातें

यारो हमारा हाल सजन सीं बयाँ करो

वस्ल की अर्ज़ का जब वक़्त कभी पाता हूँ

उस वक़्त जान प्यारे हम पावते हैं जी सा

उस वक़्त दिल पे क्यूँके कहूँ क्या गुज़र गया

तुम्हारी देख कर ये ख़ुश-ख़िरामी आब-रफ़्तारी

तुम्हारे लोग कहते हैं कमर है

तुम्हारे दिल में क्या ना-मेहरबानी आ गई ज़ालिम

तुम्हारे देखने के वास्ते मरते हैं हम खल सीं

तुम यूँ सियाह-चश्म ऐ सजन मुखड़े के झुमकों से हुए

तुम नज़र क्यूँ चुराए जाते हो

तुझ हुस्न के बाग़ में सिरीजन

तिरे रुख़सारा-ए-सीमीं पे मारा ज़ुल्फ़ ने कुंडल

तिरा क़द सर्व सीं ख़ूबी में चढ़ है

तिरा हर उज़्व प्यारे ख़ुश-नुमा है उज़्व-ए-दीगर सीं

तवाफ़-ए-काबा-ए-दिल कर नियाज़-ओ-ख़ाकसारी सीं

शेर को मज़मून सेती क़द्र हो है 'आबरू'

साथ मेरे तेरे जो दुख था सो प्यारे ऐश था

सर कूँ अपने क़दम बना कर के

रोवने नीं मुझ दिवाने के किया सियानों का काम

क़ौल 'आबरू' का था कि न जाऊँगा उस गली

क़द सर्व चश्म नर्गिस रुख़ गुल दहान ग़ुंचा

फिरते थे दश्त दश्त दिवाने किधर गए

नमकीं गोया कबाब हैं फीके शराब के

मुफ़्लिसी सीं अब ज़माने का रहा कुछ हाल नईं

मिल गया था बाग़ में माशूक़ इक नक-दार सा

मिल गईं आपस में दो नज़रें इक आलम हो गया

मेहराब-ए-अबरुवाँ कूँ वसमा हुआ है ज़ेवर

मालूम अब हुआ है आ हिन्द बीच हम कूँ

मैं निबल तन्हा न इस दुनिया की सोहबत सीं हुआ

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