उस वक़्त जान प्यारे हम पावते हैं जी सा
लगता है जब बदन से तैरे बदन हमारा
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Gulzar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(715) Peoples Rate This
कमाँ हुआ है क़द अबरू के गोशा-गीरों का
किस की रखती हैं ये मजाल अँखियाँ
दिल्ली के बीच हाए अकेले मरेंगे हम
आश्नाई ब-ज़ोर नहिं होती
शब-ए-सियाह हुआ रोज़ ऐ सजन तुझ बिन
फ़ानी-ए-इश्क़ कूँ तहक़ीक़ कि हस्ती है कुफ़्र
ग़म के पीछो रास्त कहते हैं कि शादी होवे है
क्यूँ कर बड़ा न जाने मुंकिर नपे को अपने
यारो हमारा हाल सजन सीं बयाँ करो
रता है अबरुवाँ पर हाथ अक्सर लावबाली का
सैर-ए-बहार-ए-हुस्न ही अँखियों का काम जान
नालाँ हुआ है जल कर सीने में मन हमारा