क्यूँ कर बड़ा न जाने मुंकिर नपे को अपने
इंकार उस का नाना और शैख़ है नवासा
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तुम्हारे लोग कहते हैं कमर है
जाल में जिस के शौक़ आई है
नहीं घर में फ़लक के दिल-कुशाई
देख तू बे-रहम आशिक़ नीं तुझे छोड़ा नहीं
तुम्हारी जब सीं आई हैं सजन दुखने को लाल अँखियाँ
मगर तुम सीं हुआ है आश्ना दिल
निगह तेरी का इक ज़ख़्मी न तन्हा दिल हमारा है
सरसों लगा के पाँव तलक दिल हुआ हूँ मैं
क्या शोख़ अचपले हैं तेरे नयन ममोला
मैं निबल तन्हा न इस दुनिया की सोहबत सीं हुआ
शौक़ बढ़ता है मिरे दिल का दिल-अफ़गारों के बीच
किस की रखती हैं ये मजाल अँखियाँ