वो ज़हर है फ़ज़ाओं में कि आदमी की बात क्या
हवा का साँस लेना भी मुहाल कर दिया गया
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Wasi Shah
Gulzar
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(773) Peoples Rate This
मैं था सदियों के सफ़र में 'अहमद'
किसी दरवेश के हुजरे से अभी आया हूँ
कोई हैरत है न इस बात का रोना है हमें
उन को में कर्बला के महीने में लाऊँगा
सुकूत तोड़ने का एहतिमाम करना चाहिए
ग़ुबार-ए-अब्र बन गया कमाल कर दिया गया
ऐ तअ'स्सुब ज़दा दुनिया तिरे किरदार पे ख़ाक
फ़ना के दश्त में कब का उतर गया था मैं
हवा के हाथ पे छाले हैं आज तक मौजूद
तू जो ये जान हथेली पे लिए फिरता है
वो सर उठाए यहाँ से पलट गया 'अहमद'
दिल किसी बज़्म में जाते ही मचलता है 'ख़याल'