ये भी तिरी शिकस्त नहीं है तो और क्या
जैसा तू चाहता था मैं वैसा नहीं बना
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मैं था सदियों के सफ़र में 'अहमद'
सुकूत तोड़ने का एहतिमाम करना चाहिए
ये तअल्लुक़ तिरी पहचान बना सकता था
ये भी एजाज़ मुझे इश्क़ ने बख़्शा था कभी
कल रात इक अजीब पहेली हुई हवा
दस्त-बस्तों को इशारा भी तो हो सकता है
महकते फूल सितारे दमकता चाँद धनक
वो सर उठाए यहाँ से पलट गया 'अहमद'
कोई हैरत है न इस बात का रोना है हमें
जो तिरे ग़म की गिरानी से निकल सकता है
कोई अन-देखी फ़ज़ा तस्वीर करना चाहिए