लड़कियाँ चुनती हैं गेहूँ की सुनहरी बालियाँ
काटते हैं घास मेंढों पर से बाँके नौजवाँ
खोई खोई एक लड़की बैरियों की छाँव में
देखती है घास पर लेटी हुई जाने कहाँ
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Gulzar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Anwar Masood
Rahat Indori
Javed Akhtar
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1143) Peoples Rate This
किस तवक़्क़ो पे किसी को देखें
साँस लेना भी सज़ा लगता है
तंग आ जाते हैं दरिया जो कुहिस्तानों में
एक नज़्म
तदफ़ीन
गाएँ डकराती हुई पगडंडियों पर आ गईं
क़लम दिल में डुबोया जा रहा है
क़ानून-ए-क़ुदरत
गोरे हाथों में ये धानी चूड़ियों की आन-बान
मैं कश्ती में अकेला तो नहीं हूँ
उम्र भर संग-ज़नी करते रहे अहल-ए-वतन
मैं वो शाएर हूँ जो शाहों का सना-ख़्वाँ न हुआ