मैं नुक्ता-चीं नहीं हूँ मगर ये बताइए
वो कौन थे जो हँस के गुलों को मसल गए
Anwar Masood
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
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क्या क्या मोहब्बतों के ज़माने बदल गए
कुछ इस तरह से लुटी है मता-ए-दीदा-ओ-दिल
ज़िंदगी ग़म की आँच सह कोई
ब वस्फ़-ए-शौक़ भी दिल का कहा नहीं करते
ग़म-ए-हबीब ग़म-ए-ज़िंदगी ग़म-ए-दौराँ
हम ही बदलेंगे रह-ओ-रस्म-ए-गुलिस्ताँ यारो
शिकस्त-ए-अहद-ए-सितम पर यक़ीन रखते हैं
ब-वस्फ़-ए-शौक़ भी दिल का कहा नहीं करते
फ़र्त-ए-ग़म-ए-हवादिस-ए-दौराँ के बावजूद