ये भी तय है कि जो बोएँगे वो काटेंगे यहाँ
और ये भी कि जो खोएँगे वही पाएँगे
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Gulzar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(997) Peoples Rate This
तेरे सिवा किसी की तमन्ना करूँगा मैं
'अजमल'-सिराज हम उसे भूल हुए तो हैं
हम अपने-आप में रहते हैं दम में दम जैसे
शाम अपनी बे-मज़ा जाती है रोज़
कुछ कहना चाहते थे कि ख़ामोश हो गए
बताओ तुम से कहाँ राब्ता किया जाए
गुज़र गई है अभी साअत-ए-गुज़िश्ता भी
मैं ने ऐ दिल तुझे सीने से लगाया हुआ है
कौन आता है इस ख़राबे में
ज़िंदगी हम से चाहती क्या है
दिखा दूँगा तमाशा दी अगर फ़ुर्सत ज़माने ने