कोट और पतलून जब पहना तो मिस्टर बन गया
जब कोई तक़रीर की जलसे में लीडर बन गया
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
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Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
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जो तुम्हारे लब-ए-जाँ-बख़्श का शैदा होगा
इस गुलिस्ताँ में बहुत कलियाँ मुझे तड़पा गईं
अपने पहलू से वो ग़ैरों को उठा ही न सके
डाल दे जान मआ'नी में वो उर्दू ये है
नई तहज़ीब
जवानी की है आमद शर्म से झुक सकती हैं आँखें
आह जो दिल से निकाली जाएगी
ख़ुदा से माँग जो कुछ माँगना है ऐ 'अकबर'
बोले कि तुझ को दीन की इस्लाह फ़र्ज़ है
जल्वा-ए-दरबार-ए-देहली
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख आबले 'अकबर'
जज़्बा-ए-दिल ने मिरे तासीर दिखलाई तो है