अब तो मिलिए बस लड़ाई हो चुकी
अब तो चलिए प्यार की बातें करें
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अब वो बातें न वो रातें न मुलाक़ातें हैं
पलट सी गई है ज़माने की काया
हर एक जल्वा-ए-रंगीं मिरी निगाह में है
ऐ इश्क़ कहीं ले चल
कूचा-ए-हुस्न छुटा तो हुए रुस्वा-ए-शराब
ईद आई है ऐश-ओ-नोश का सामाँ कर
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता
एक हुस्न-फ़रोश से
किस को देखा है ये हुआ क्या है
दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी
इश्क़ को नग़्मा-ए-उम्मीद सुना दे आ कर
इन्ही ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा