कुछ कड़े टकराओ दे जाती है अक्सर रौशनी
जूँ चमक उठती है कोई बर्क़ तलवारों के बेच
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Allama Iqbal
Rahat Indori
Javed Akhtar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(917) Peoples Rate This
किसी के वास्ते तस्वीर-ए-इंतिज़ार थे हम
शाम की पुरवाई
ब'अद मुद्दत मुझे नींद आई बड़े चैन की नींद
मौसम-ए-गुल पर ख़िज़ाँ का ज़ोर चल जाता है क्यूँ
मुझे तो इंतिज़ार-ए-इश्क़ में ही लुत्फ़ आता है
अँधेरी शब का ये ख़्वाब-मंज़र मुझे उजालों से भर रहा है
अजनबी सा इक सितारा हूँ मैं सय्यारों के बीच
बगूला बन के नाचता हुआ ये तन गुज़र गया
नज़्म तकमील
आज फिर
ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है