किनारों से मुझे ऐ ना-ख़ुदाओ दूर ही रक्खो
वहाँ ले कर चलो तूफ़ाँ जहाँ से उठने वाला है
Jaun Eliya
Wasi Shah
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(788) Peoples Rate This
तुम जो आओगे तो मौसम दूसरा हो जाएगा
काटी है ग़म की रात बड़े एहतिराम से
क्या इसी वास्ते सींचा था लहू से अपने
ग़म से मंसूब करूँ दर्द का रिश्ता दे दूँ
हमारी आँख ने देखे हैं ऐसे मंज़र भी
लाई है किस मक़ाम पे ये ज़िंदगी मुझे
मुस्तहिक़ वो लज़्ज़त-ए-ग़म का नहीं
रोके से कहीं हादसा-ए-वक़्त रुका है
अब छलकते हुए साग़र नहीं देखे जाते