आधे पेड़ पे सब्ज़ परिंदे आधा पेड़ आसेबी है
कैसे खुले ये राम-कहानी कौन सा हिस्सा मेरा है
Rahat Indori
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Gulzar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(838) Peoples Rate This
चराग़ बाँटने वालों प हैरतें न करो
ज़र्द फूलों में बसा ख़्वाब में रहने वाला
मुख़्तसर बात थी, फैली क्यूँ सबा की मानिंद
कसे कजावे महमिलों के और जागा रात का तारा भी
नाम ओ नसब
कोई न रस्ता नाप सका है, रेत पे चलने वालों का
हरीम-ए-दिल, कि सर-ब-सर जो रौशनी से भर गया
क़ैद-ख़ाने की हवा में शोर है आलाम का
मुसीबत की ख़बरें
अज़ल के क़िस्सा-गो ने दिल की जो उतारी दास्ताँ
धूप फैली तो कहा दीवार ने झुक कर मुझे
सुर्मा हो या तारा