कोई न रस्ता नाप सका है, रेत पे चलने वालों का
अगले क़दम पर मिट जाएगा पहला नक़्श हमारा भी
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Gulzar
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Wasi Shah
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
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आसमाँ के रौज़नों से लौट आता था कभी
मुख़्तसर बात थी, फैली क्यूँ सबा की मानिंद
सफ़ीर-ए-लैला-4
हिजाब आ गया था मुझ को दिल के इज़्तिराब पर
मुसीबत की ख़बरें
नौहा
सफ़ीर-ए-लैला-1
किसी का साया रह गया गली के ऐन मोड़ पर
कसे कजावे महमिलों के और जागा रात का तारा भी
चरवाहे का जवाब
चराग़ बाँटने वालों प हैरतें न करो
चाँदी वाले, शीशे वाले, आँखों वाले शहर में