ख़िरद वाक़िफ़ नहीं है नेक-ओ-बद से
बढ़ी जाती है ज़ालिम अपनी हद से
ख़ुदा जाने मुझे क्या हो गया है
ख़िरद बे-ज़ार दिल से दिल ख़िरद से
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वो मेरा रौनक़-ए-महफ़िल कहाँ है
ख़ुदी बुलंद थी उस ख़ूँ-गिरफ़्ता चीनी की
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा
अफ़्लाक से आता है नालों का जवाब आख़िर
सवार-ए-नाक़ा-ओ-महमिल नहीं मैं
बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
नहीं इस खुली फ़ज़ा में कोई गोशा-ए-फ़राग़त
फ़क़्र के हैं मोजज़ात ताज ओ सरीर ओ सिपाह
महीने वस्ल के घड़ियों की सूरत उड़ते जाते हैं
यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह-ए-आलम
ये हूरयान-ए-फ़रंगी दिल ओ नज़र का हिजाब